Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -07-Feb-2023 गृह लक्ष्मी

एक गांव में विधवा महिला के पांच जवान अटे कटे बेटे थे, लेकिन वह फिर भी गांव में सबसे ज्यादा गरीब थे। उनकी गरीबी का कारण था उनका आलसी और निकम्मापन। पांचों भाइयों ने यह नियम बना रखा था कि साल में छ महीने दो भाई मजदूरी करेंगे दूसरे छ महीने दूसरे भाई और सबसे छोटे भाई का काम था खाना बनाना कपड़े धोना आदि घर के सारे घरेलू काम करना और वह जो भी कमाते थे, वह सारा खर्च कर देते थे, भविष्य के लिए कुछ भी नहीं बचाते थे। 


पांचों भाइयों का पूरा गांव छोटी-छोटी बातों पर अपमान करता था। गांव के सबसे निकम्मे नाकारा बेकार लोगों में उनकी गिनती होती थी। गांव में कोई भी शादी जन्मदिन या कोई भी आयोजन होता था, तो गांव के लोग उनको निमंत्रण नहीं देते थे।

 लेकिन पांचों भाई गांव में अपना इतना अपमान होने के बाद भी गांव में खुशी से रहते थे। ना तो गांव वालों से घृणा करते थे, ना गांव के लोगों पर उन्हें क्रोध आता था, ना उन्हें गांव के लोगों से कोई लालच था।

 वासुदेव नाम का बहुत बड़ा व्यापारी था  उसकी पांच बेटियां थी उसकी पांचों बेटियां बहुत ज्यादा पढ़ी लिख तो नहीं थी, लेकिन उसकी पांचो बेटियों को दुनियादारी की बहुत समझ थी और उन पांचों में ज्ञान बुद्धि की भी कमी नहीं थी।  वासुदेव को अपनी बेटियों पर विश्वास था कि अगर उनकी किसी भिखारी से भी शादी होगी तो वह  धन दौलत शोहरत से उसका जीवन भर देंगी।

 एक दिन मजदूरी ढूंढते ढूंढते पांचों भाइयों में से दो भाई सेठ वासुदेव के पास पहुंच जाते हैं सेठ वासुदेव दोनों भाइयों को काम रख लेता है। सेठ वासुदेव दोनों भाइयों की ईमानदारी और मेहनत से बहुत खुश रहता था, लेकिन छ महीने बाद दोनों भाई कहते हैं की "अब अगले छ महीने हमारे दूसरे दोनों भाई आपके यहां काम करेंगे और हम दोनों भाई छ महीने आराम करेंगे।"

 उनकी यह बात सेठ वासुदेव को बहुत अनोखी लगती है। वह उनकी बात समझकर अपने मन में विचार करता है यह इतने गुणवान ईमानदार सच्चे मेहनती है। मैं कैसे इनके गुणों का लाभ दुनिया तक पहुंचाऊं, जिससे इनका भी भला हो और दुनिया का भी भला हो। फिर उसके मन में विचार आता है कि मेरी बेटियां भी तो सर्वगुण संपन्न है। उनके गुणों का लाभ भी दुनिया को होना चाहिए। 

इसलिए वह पांचों भाइयों की तीन महीने अच्छी तरह परीक्षा लेकर अपनी पांचों बेटियों की शादी उन पांचों भाईयों से कर देता है। पांच बहू आने के बाद उनकी विधवा मां के भी मन में कुछ उम्मीद जग जाती है की शायद पांच पांच बहू आने के बाद उसके और उसके बेटों के जीवन में कुछ सुधार आ जाए।

 धीरे-धीरे पांचों बहू महसूस करती है कि गांव के लोग हमारे परिवार की इज्जत नहीं करते और जब भी गांव वालों को मौका मिलता है हमारे पतियों का अपमान करते हैं। सबसे पहले पांचों बहुएं अपने परिवार की निर्धनता दूर करने के लिए नौकरी पर लग जाती है। और उनको काम करता देख पांचों भाई भी शर्म से रोज मेहनत मजदूरी करके घर में पैसे लाने लगते हैं। उनके पति जो पैसे कमा कर लाते थे और जो पैसे पांचों बहुएं कमा कर लाती थी, वह उन पैसों में से घर का खर्च निकाल कर बाकी पैसे बैंक में जमा कर देती थी।
 
धीरे-धीरे उनके परिवार की गरीबी दूर होने लगती है। पांचों भाई और उनकी विधवा मां के जीवन में शांति सुकून खुशियां आ जाती हैं। लेकिन गांव के लोग अभी भी उनका अपमान करने से नहीं हिचकी चाहतें थे। इसलिए अपने घर परिवार रहन सहन में सुधार करने के लिए पांचों बहू अपना पुराना मकान तोड़कर नया घर बनाती है।

अपनी और अपने पतियों की कमाई से इतना सुंदर घर बनाती है कि ऐसा घर उनके गांव में किसी का नहीं था। और जिस दिन गृह प्रवेश की पूजा होती है। उस दिन पूजा करने के बाद पूरे गांव की दावत करती है।

गृह प्रवेश की पूजा और दावत का निमंत्रण अपने माता-पिता को भी देती है। पूरा गांव उनके घर को देखने और दावत खाने आता है। पूरा गांव उनके घर की बहुत प्रशंसा करता है। गांव का एक वृद्ध पुरुष उन पांचों भाइयों का घर देखकर कहता है कि "इन पांचों नाकारा भाइयों का अमीर घर में शादी करके भाग्य खुल गया है।"

 सेठ वासुदेव को पता था कि इन पांचों भाइयों की गांव में कोई इज्जत नहीं है। इसलिए गांव वालों को समझाने के लिए पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर खड़ा होकर गांव वालों से कहता है कि "चोर सारी दुनिया की नजरों में बहुत दुष्ट पुरुष होता है, लेकिन किसी ना किसी की नजरों में वह बहुत प्यारा और सच्चा होता है। चाहे उसके माता-पिता मित्र भाई-बहन आदि कोई भी हो सकता है। क्योंकि सब मनुष्यों में ज्यादा नहीं पर एक या दो गुण जरूर अच्छे होते हैं।लेकिन इन पांचों भाइयों में तो मेहनत ईमानदारी सच्चाई आदि गुण है। और सबसे अच्छे सद्गुण किसी से घृणा ना करना किसी  पर क्रोध ना करना और ना लालच। गांव वालों ने इनका हमेशा इतना अपमान किया लेकिन इन्होंने ना गांव वालों से घृणा कि ना गांव वालों पर क्रोध किया ना गांव वालों से इनको कोई लालच।

मेरी पांचो बेटियों ने तो इनके गुणों को अपने सद्गुणों से बस निखारा है।और यह बात साबित करके दिखा दी की बहू बेटी घर की लक्ष्मी होती है। मेरे पांचों दमाद और मेरी बेटियों के गुणों से इस दुनिया के लोगों को बड़ा नहीं तो छोटा लाभ भविष्य में जरूर मिलेगा। दूसरा अपनी बहू के गुणों को पहचानो फिर उन्हें आज से बहु नहीं बहु रानी कहा करो। 

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4 Comments

Gunjan Kamal

09-Feb-2023 07:03 PM

👌👌👌👌

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शानदार

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Punam verma

08-Feb-2023 08:48 AM

Very nice

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